आदम और हव्वा का गिरना
- आदम और हव्वा को परमेश्वर ने बगीचे में रहने दिया था और उन्हें एक आदेश दिया था कि वे एक विशेष वृक्ष का फल न खाएँ।
- सर्प ने हव्वा से कहा, "तुम सच में नहीं मरोगे, यदि तुम उस वृक्ष का फल खाओगी तो तुम परमेश्वर की तरह बन जाओगी।"
- हव्वा ने सर्प की बात मानी और फल खाया, और आदम को भी दिया, और उसने भी खाया।
- तभी उनकी आँखें खुली और उन्होंने जाना कि वे नंगे हैं, और वे पत्तों से खुद के लिए कपड़े बनाए।
- तब परमेश्वर ने आकर उन्हें बुलाया, और वे डर के कारण भाग गए।
- परमेश्वर ने आदम से पूछा, "तुमने क्या किया?" आदम ने कहा, "यह उस स्त्री के कारण है जिसे तूने मेरे साथ किया था।"
- फिर परमेश्वर ने हव्वा से पूछा, "तुमने क्या किया?" हव्वा ने कहा, "सर्प ने मुझे बहकाया, और मैंने खा लिया।"
- तब परमेश्वर ने सर्प से कहा, "तू सब पशुओं से शापित होगा, और तेरे पेट के बल रेंगना पड़ेगा।"
- परमेश्वर ने हव्वा को कहा, "तुझे पीड़ा में संतान जन्म देनी पड़ेगी, और तुझे अपने पति के प्रति लालसा रहेगी।"
- आदम से परमेश्वर ने कहा, "तू पृथ्वी से शापित होगा, और तू शोक, पसीना और कठिन परिश्रम से भोजन पाएगा।"
- परमेश्वर ने आदम और हव्वा के लिए चमड़े के वस्त्र बनाए और उन्हें पहनाया।
- फिर परमेश्वर ने कहा, "अब आदमी हमारे जैसा हो गया है, जानने में अच्छा और बुरा।" इसलिए परमेश्वर ने उन्हें बगीचे से बाहर निकाल दिया।
- परमेश्वर ने एड़म को बगीचे के प्रवेश द्वार पर करूबों और एक चमकते हुए तलवार को रखा, ताकि वह जीवन के वृक्ष तक न पहुँच सके।